ऑटोमेशन के ज़रिए ट्रेडर्स बाजार के ऑफ-ऑवर्स में भी मुनाफे के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं

बेंगलुरु – भारत के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज क्वॉइनडीसीएक्स ने अब ट्रेडर्स के लिए ऑटोमेटेड क्रिप्टो ट्रेडिंग की सुविधा शुरू कर दी है। यह सुविधा ट्रेडट्रोन के साथ आसान एकीकरण के ज़रिए उपलब्ध होगी। इसके तहत ट्रेडर्स तयशुदा रणनीतियों के आधार पर अपने बाय,सेल ऑर्डर अपने आप चला सकते हैं बिना किसी मैन्युअल दखल के। चूंकि क्रिप्टो मार्केट 24×7 खुला रहता है, ऐसे में यह ऑटोमेशन सुविधा न केवल समय की बचत करती है बल्कि हर समय बेहतर और तेज़ ट्रेडिंग अनुभव भी देती है। क्वॉइनडीसीएक्स के सह-संस्थापक सुमित गुप्ता ने कहा,एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग अब इक्विटी निवेशकों के बीच पूरी तरह स्थापित हो चुकी है। वित्त वर्ष 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, एनएसई में कुल फ्यूचर्स और ऑप्शंस (एफ एण्‍ड ओ) लेनदेन का 70% हिस्सा अब अल्गोस के ज़रिए हो रहा है। यह दिखाता है कि यह तकनीक अब बाजार का अहम हिस्सा बन चुकी है। पहले जहां ऐसी ऑटोमेटेड रणनीतियाँ केवल बड़ी संस्थाएं अपनाती थीं,अब अनुभवी रिटेल ट्रेडर्स भी तेजी से इन्हें अपना रहे हैं। उन्होंने आगे कहा,क्रिप्टो में, जहां मार्केट 24×7 खुला रहता है और उतार-चढ़ाव लगातार बना रहता है,ऑटोमेशन की उपयोगिता और बढ़ जाती है। यह पहल क्वॉइनडीसीएक्स के उस प्रयास का हिस्सा है जिसके तहत हम संस्थागत स्तर के टूल्स को आम ट्रेडर्स तक लाना चाहते हैं। ट्रेडट्रोन के साथ साझेदारी के ज़रिए अब यूजर्स अपनी ऑटोमेटेड रणनीतियाँ दिन-रात लागू कर सकते हैं यहां तक कि सोते समय भी।क्वॉइनडीसीएक्स पर ऑटोमेटेड ट्रेडिंग के फायदे
* रफ्तार और सटीकता : ऑटोमेटेड सिस्टम रियल टाइम में बड़ी मात्रा में मार्केट डेटा का विश्लेषण करते हैं और तय शर्तें पूरी होते ही तुरंत ऑर्डर पूरा कर देते हैं। इससे ट्रेडिंग तेज़ और सटीक होती है।
* अनुशासित ट्रेडिंग : रणनीतियाँ पूरी तरह लॉजिक पर आधारित होती हैं, जिससे भावनात्मक फैसलों की गुंजाइश नहीं रहती। बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भी निर्णय स्थिर और अनुशासित बने रहते हैं।
* रणनीति की जांच और सुधार : लाइव ट्रेडिंग से पहले रणनीतियों को पुराने बाजार डेटा पर टेस्ट किया जा सकता है। इससे प्रदर्शन का आकलन करने, जोखिम समझने और पैरामीटर्स को बेहतर करने में मदद मिलती है।
* टेक्निकल जानकारी की जरूरत नहीं : ट्रेडट्रोन के विजुअल स्ट्रैटेजी बिल्डर के जरिए यूजर्स को कोडिंग या तकनीकी ज्ञान की जरूरत नहीं होती। वे आसानी से रणनीति बना सकते हैं, उसमें बदलाव कर सकते हैं और उसे लॉन्च कर सकते हैं।

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