भूपेंद्र यादव ने दिखाई भारत की जलवायु नेतृत्व की दिशा

नई दिल्ली – अडानी प्रस्तुत क्लाइमेट समिट का दूसरा संस्करण आयोजित किया। यह शिखर सम्मेलन नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों, युवा जलवायु कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय नेताओं को एक मंच पर लाया, ताकि भारत के नेट-ज़ीरो लक्ष्य, सतत विकास और जलवायु लचीलापन की दिशा में एक व्यावहारिक रास्ता तय किया जा सके। शिखर सम्मेलन में विशेष संबोधन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने दिया। उन्होंने भारत के जलवायु एजेंडे और सतत विकास के रास्ते का जिक्र करते हुए कार्यक्रम की थीम को आगे बढ़ाया।  सम्मेलन में भूमि पेडनेकर (अभिनेत्री और जलवायु योद्धा – UN), डॉ. मृत्युंजय महापात्र (महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग), लोकेश चंद्र (अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी), आशीष खन्ना (महानिदेशक, इंटरनेशनल सोलर अलायंस) जैसे प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विचार साझा किए। अपने विशेष संबोधन में श्री भूपेंद्र यादव ने कहा:जलवायु परिवर्तन हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है और भारत ने इसके खिलाफ एक सक्रिय और क्रियाशील रुख अपनाया है। हमने पेरिस समझौते के अंतर्गत उत्सर्जन तीव्रता और नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों को 2030 से पहले ही प्राप्त कर लिया है। हम देश के हरित दायरे का विस्तार करने के, अपने लक्ष्य पर पहुंचने के करीब हैं। हमारा जलवायु प्रयास न्याय और स्थिरता पर आधारित है फ्रांस के साथ इंटरनेशनल सोलर अलायंस (अब 137 सदस्य देश), आपदा-रोधी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI), LeadIT और हमारी ग्रीनहाउस गैस इन्वेंटरी जैसे वैश्विक प्रयास इसके प्रमाण हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शीतलन कार्य योजना का ज़िक्र करते हुए कहा: यह दीर्घकालीन ऊर्जा दक्षता एवं और पर्यावरण संतुलन को बढ़ावा देने की दिशा में एक और रणनीतिक कदम है। यहां तक कि पर्याप्त अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त के अभाव में भी भारत ने अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ने का मार्ग चुना है मिशन LiFE और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे अभियानों के माध्यम से नागरिकों को भी भागीदार बनाया जा रहा है। लोकेश चंद्र, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, महावितरण ने कहा:महाराष्ट्र की वितरण कंपनी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। जैसा कि राज्य एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, ऐसे में ऊर्जा की मांग कई विकसित देशों से अधिक हो जाएगी। 30% मांग कृषि क्षेत्र से आती है, जिसमें 45 लाख से अधिक किसान विद्युत पंप का उपयोग करते हैं। इस मांग को पूरा करने और सब्सिडी के दबाव को कम करने के लिए मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना के तहत हम सौर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया:हमारा लक्ष्य 2026 तक 16,000 मेगावॉट विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा है, जिसमें से 1,600 मेगावॉट पहले ही चालू हो चुकी है। इससे ग्रामीण परिवर्तन, कृषि उत्पादकता में सुधार, सुरक्षा में वृद्धि और लागत में कमी आई है। भूमि अधिग्रहण में सरलता, डेवलपर्स को प्रोत्साहन और तेजी से काम करने के लिए हमने कौशल निपुणता कार्यक्रमों की शुरुआत की है। यह स्किलिंग मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कर चुका है और अन्य राज्यों द्वारा अपनाए जाने की प्रक्रिया में है। डॉ. मृत्युंजय महापात्र, महानिदेशक, भारत मौसम विभाग ने कहा:भारत में गर्मी की लहरों का स्वरूप स्पष्ट रूप से बदल रहा है, और इसका कारण जलवायु परिवर्तन है। इसकी तीव्रता और अवधि में वृद्धि मुख्यतः मानवीय गतिविधियों जैसे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, औद्योगीकरण, वनों की कटाई और शहरीकरण से जुड़ी हुई है। हम IMD में पूर्व चेतावनी प्रणालियों और पूर्वानुमान मॉडल को मजबूत कर रहे हैं ताकि संस्थागत और सामुदायिक स्तर पर जोखिमों को कम किया जा सके। लेकिन केवल पूर्वानुमान पर्याप्त नहीं है हमें उत्सर्जन में कटौती, वनों की रक्षा, सतत शहरी नियोजन और जलवायु-लचीला अवसंरचना विकसित करने की सामूहिक आवश्यकता है। भूमि पेडनेकर, अभिनेत्री, जलवायु योद्धा और UNDP एडवोकेट ने कहा:फैशन केवल स्टाइल नहीं इसमें बहुत ताकत है, यह अभिव्यक्ति और पहचान और प्रभाव का एक माध्यम है। मेरा मानना है कि एक ज्यादा टिकाऊ विश्व के निर्माण में यह मुख्य भूमिका निभा सकता है। जिस बदलाव की हमें जरूरत है उसके लिए हमें स्टाइल को त्यागने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सोच समझकर उपभोग करने की आदत डालनी है। मैं उन डिजाइनर्स का समर्थन करती हूं जो पारंपरिक कारीगरी और टिकाऊ फैशन को बढ़ावा देते हैं। मैं पुरानी चीज़ें खरीदना पसंद करती हूं, मैं अपने परिधान कई बार पहनती और बहुत-सोच समझकर पैसे खर्च करती हूं। यहां तक कि मैं अपने सेट पर भी सिंगल-यूज़ प्लास्टिक की बजाय पुन: उपयोग वाले विकल्पों को प्रोत्साहित करती हूं। उन्होंने आगे कहा सतत जीवनशैली कोई बाधा नहीं बल्कि अधिक सार्थक, उद्देश्यपूर्ण जीने का तरीका है। जब फैशन उद्देश्य से प्रेरित होता है, तब वह परिवर्तन की एक बड़ी ताकत बन जाता है। हम क्या पहनते हैं, क्या दोबारा उपयोग करते हैं, कैसे उपभोग करते हैं ये हमारी पसंद एक बेहतर भविष्य को आकार दे सकते हैं। इंडिया क्लाइमेट समिट 2025 का समापन व्यापक सहभागिता, विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग और जलवायु कार्रवाई के लिए नई ऊर्जा के साथ हुआ। इस शिखर सम्मेलन ने सभी क्षेत्रों में एकजुट प्रयासों की अत्यंत जरूरत को रेखांकित किया। साथ ही राष्ट्रीय एवं वैश्विक दोनों स्तरों पर जलवायु लचीलेपन एवं सतत विकास जारी रखने पर भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।

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